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The Definitive Guide to bhairav kavach

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ॐ पातु नित्यं शिरसि पातु ह्रीं कण्ठदेशके ॥ १०॥ भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं श्री गणपति, गुरुदेव, गौरि के चरणों में नमन कर मैं शिवरूप श्री भैरवदेव का चालीसा रचता हूं ॥ अनेन पठनाद् देवि विघ्ननाशो यथा भवेत् ॥ २१॥ तस्य ध्यानम् त्रिधा प्रोक्तं सात्त्विकादिप्रभेदतः नमः पातु महामन्त्रः सर्वशास्त्रार्थपारगः ॥ ११॥ दुर्भिक्षे https://businessbookmark.com/story1996068/top-bhairav-kavach-secrets

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